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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव (भाग-1)

मोही कहाँ विश्राम...
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तेरह उपनिवेशों वाले अमेरिका का पहला राष्ट्रध्वज
तेरह उपनिवेशों वाले अमेरिका का पहला राष्ट्रध्वज

जब भी हमारे समाचार चैनलों में अमेरिका का नाम आता है, तो अक्सर हम सुनते हैं कि यह विश्व का सबसे पुराना लोकतंत्र है। साथ ही, अमेरिकी राष्ट्रपति को भी लगभग हमेशा ही ‘विश्व का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति’ कहा जाता है। हालांकि, हममें से बहुत कम लोगों को ही अमेरिका के लोकतांत्रिक इतिहास की जानकारी होगी। इसी तरह अमेरिकी राष्ट्रपति के अधिकारों, राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया, राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए आवश्यक योग्यता आदि के बारे में भी बहुत कम लोग ही जानते होंगे। लेकिन इस बारे में ज्यादा जानने की जिज्ञासा शायद सबके मन में होती ही है। मेरे मन में भी यह जिज्ञासा है और इसीलिए मैंने सन 2016 में होने वाले ‘अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव’ को आधार बनाकर यह ब्लॉग श्रृंखला शुरू करने का निर्णय लिया, ताकि मुझे इस बारे में जितनी जानकारी मिले, वह मैं इस ब्लॉग के माध्यम से आप सभी को दूं।

मैं प्रारंभ करने से पहले ही यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मैं इस विषय का विशेषज्ञ नहीं हूं। मैंने केवल जिज्ञासा के कारण ही इस विषय में पढ़ना और विभिन्न स्त्रोतों से जानकारी इकठ्ठा करना शुरू किया है और वही जानकारी मैं सरल शब्दों में इस ब्लॉग श्रृंखला के द्वारा आप तक पहुंचा रहा हूं। इसलिए यदि इसमें कोई गलती मिले, या आप इसमें कोई जानकारी जोड़ना चाहें, तो बेझिझक कमेन्ट बॉक्स में लिखें या मुझे me@sumant.in पर ईमेल द्वारा बताएं।

तो आइए, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बारे में जानने की अपनी यात्रा शुरू करते हैं!

वैसे तो संयुक्त राज्य अमेरिका का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है, लेकिन इस ब्लॉग श्रृंखला में हम केवल इसके राजनैतिक इतिहास पर ध्यान केन्द्रित करेंगे। अमेरिका एक संघीय संवैधानिक गणराज्य है। सरल शब्दों में इसका अर्थ यह है कि यह राज्यों का एक संघ है, जिसका शासन इसके संविधान के अनुसार चलाया जाता है तथा सैद्धांतिक रूप से इस देश का कोई भी नागरिक देश के सर्वोच्च पद पर पहुंच सकता है। अमेरिका में शासन-शक्ति यहां के राष्ट्रपति, कांग्रेस (संसद) और न्यायपालिका के बीच विभाजित होती है। अमेरिका में राष्ट्रपति सरकार का और राष्ट्र का मुखिया होता है। वह संघीय सरकार (केन्द्र सरकार) की कार्यात्मक शाखा (कार्यपालिका) का प्रमुख और अमेरिकी सेना का कमांडर-इन-चीफ (सेनापति) भी होता है। इस पद पर आसीन होने वाले व्यक्ति के पास एक ऐसे राष्ट्र का नेतृत्व होता है, जिसकी अर्थव्यस्था विश्व में सबसे बड़ी है, जो अपनी सेना पर विश्व के सभी देशों की तुलना में ज्यादा धन खर्च करता है और जिसके पास परमाणु अस्त्रों का विश्व में सबसे बड़ा जखीरा है। साथ ही, अमेरिकी संविधान के द्वारा राष्ट्रपति को बहुत सारे अधिकार प्रदान किए गए हैं। इन्हीं सब कारणों से अमेरिकी राष्ट्रपति को विश्व का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति कहा जाता है। इन अधिकारों और संवैधानिक प्रावधानों के बारे में हम अगले किसी ब्लॉग पोस्ट में विस्तार से चर्चा करेंगे।

आधुनिक अमेरिका में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुरुआत सन 1765 से 1783 तक चली ‘अमेरिकी क्रान्ति’ के दौरान हुई। उस दौरान अमेरिका के तेरह ब्रिटिश उपनिवेशों ने ग्रेट ब्रिटेन की प्रभुता को मानना अस्वीकार कर दिया था। वास्तव में, सन 1765 से ही ये राज्य ब्रिटिश संसद द्वारा उनसे कर वसूले जाने का विरोध करने लगे थे। आगे उन्होंने इसके विरुद्ध सशस्त्र युद्ध भी छेड़ दिया, जो सन 1775 से 1783 तक चला। सन 1774 में इन उपनिवेशों ने मिलकर एक संगठन बनाया, जिसका नाम कॉन्टिनेंटल कांग्रेस था। इसी कॉन्टिनेंटल कांग्रेस ने 4 जुलाई 1776 के दिन इन उपनिवेशों को ब्रिटेन से स्वतंत्र घोषित कर दिया और एक नए राष्ट्र की स्थापना की घोषणा की, जिसका नाम यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका (संयुक्त राज्य अमेरिका) रखा गया। यह ऐतिहासिक घोषणापत्र Declaration of Independence (स्वतंत्रता की घोषणा) कहलाता है।

सन 1774 से 1788 तक चौदह लोग कॉन्टिनेंटल कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर रहे। सन 1789 में अमेरिका के संविधान को स्वीकार किया गया, जिसके बाद से अमेरिका में राष्ट्रपति प्रणाली अस्तित्व में आई और जॉर्ज वॉशिंगटन अमेरिका के पहले राष्ट्रपति बने।

(स्त्रोत: http://blog.sumant.in/potus1/)

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